प्यार
आज फिर मैनें
जूते के तस्मे बांधें
टाई की नॉट ठीक की
कमीज की बांह की उधड़ी तुरपन को
कोट में छुपाया..
और ब्रीफ़केस चेक किया
सब था
बूढ़ी आंखों का आपरेशन
बच्चे की फीस
मकान की दो महीने की क़िस्त
और मरम्मत को रखी
शादी की घड़ी...
दफ्तर जाने को
दरवाज़े से निकलते ही
कमर में धोती खोंसे
पसीने ओर तेल से
चिपचिपाते एक चेहरे ने
आटे से सने हाथों से
चेहरे पर गिरी बालों की लट
हटाते हुए
मौन आंखों से कहा;
अच्छे लग रहे हो...
मैनें जवाब दिया
तुम भी....
(c) पाखी
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