Saturday, December 29, 2018

My Poem: Pyar

प्यार



आज फिर मैनें
जूते के तस्मे बांधें
टाई की नॉट ठीक की
कमीज की बांह की उधड़ी तुरपन को
कोट में छुपाया..
और ब्रीफ़केस चेक किया
सब  था
बूढ़ी आंखों का आपरेशन
बच्चे की फीस
मकान की दो महीने की क़िस्त
और मरम्मत को रखी
शादी की घड़ी... 

दफ्तर जाने को
दरवाज़े से निकलते ही
कमर में धोती खोंसे
पसीने ओर तेल से
चिपचिपाते एक चेहरे ने
आटे से सने हाथों से
चेहरे पर गिरी बालों की लट
हटाते हुए 
मौन आंखों से कहा;
अच्छे लग रहे हो...
मैनें जवाब दिया
तुम भी....

(c) पाखी

No comments:

Post a Comment